जब भी थामा हैं तेरा हाथ, तो देखा हैं
लोग कहते हैं की, बस हाथ की रेखा हैं
हम ने देखा हैं दो, तकदीरों को जुड़ते हुए
नींद सी रहती है, हलकासा नशा रहता हैं
रात दिन आँखों में, एक चेहरा बसा रहता हैं
पर लगी आँखों को देखा हैं कभी उड़ते हुए
जाने क्या होता है, हर बात पे कुछ होता हैं
दिन में कुछ होता है, और रात में कुछ होता हैं
थाम लेना जो कभी देखो हमे उड़ते हुए
गुलज़ार साहब
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