The role of a writer is not to say what we all can say, but what we are unable to say.
The role of a writer is not to say what we all can say, but what we are unable to say.
रातों में सुनी है मगर देखि तो नहीं,
एक आह सी है, उनकी तो नहीं,
अपना हुनर तराशा है जिनके हुस्न से,
मेरी इन गज़लों में वही अक्स तो नहीं,
दिल को ये दिलासा है, वो है जमी पे,
ये चाँद उसी दिलदार का साया तो नहीं,
जिस अजनबी ने मुझको तलबगार किया है,
उनसे मेरे रूह का कोई रिश्ता तो नहीं...
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